नेत्रदान अंगदान के बारे में घर-घर जागरूक करेंगे एनसीसी कैडेट

दुष्यंत सिंह गहलोत

कोटा (मातृभूमि न्यूज़)। संभाग स्तर पर नेत्रदान-अंगदान और देहदान के विषय पर सम्मिलित रूप से प्रयास कर रही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन द्वारा, स्टेशन क्षेत्र में चल रहे, 7 राज गर्ल्स बटालियन के 8 दिवसीय संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण एनसीसी शिविर में आई बैंक सोसायटी जयपुर के बीबीजे चेप्टर के कॉर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ ने नेत्रदान,अंगदान और देहदान के विषय पर बहुत ही उपयोगी जानकारी बच्चों को दी।

इस प्रशिक्षण शिविर में कोटा ग्रुप के 237 कैडेट्स भाग ले रहे हैं। नैत्रदान-अंगदान-देहदान की उपयोगिता व अंगदान की प्रक्रिया के बारे में जानने के बाद, कई बच्चों को इस बात का भी अफसोस रहा कि,जब उनके घर पर बड़े-बुजुर्गों की मृत्यु हुई और उस समय यदि हमें,या परिवार के सदस्यों को नेत्रदान के बारे में जानकारी होती तो,वह आज कहीं ना कहीं किसी के आँख में रौशनी बन कर जीवित रह रहे होते। शिविर के कैम्प कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ हेमेंद्र बंसल ने कैडेट्स का मनोबल बढ़ाते हुये कहा कि,जब आप देश की सेवा की लिये अपना सभी कुछ न्यौछावर करने के लिये आ ही चुके है,तो यह प्रण कीजिये कि अगर देश के लिये काम नहीं भी आ सके तो अपने अंगों से किसी ज़रूरत मंद का जीवन तो बचा ही सकेंगे।

दूर-दराज़ से आये कई बच्चों ने पहली बार यह जाना कि, मृत्यु के बाद भी जीवन है,जो सिर्फ नैत्रदान अंगदान के माध्यम से संभव है। 18 वर्ष से ऊपर के 15 बच्चों ने अपने स्वंय के नेत्रदान के संकल्प पत्र भरे,उन्होंने जब यह बात अपने माता-पिता को बतायी, तो उन्होंने बच्चों से कहा कि, उनके लिये भी नैत्रदान-अंगदान के संकल्प पत्र व पूरी जानकारी लेते हुए आये। बीबीजे चेप्टर कॉर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि, अंगदान उन व्यक्तियों के लिए जीवनदान है, जो अंग अभाव के कारण मौत के करीब आ चुके हैं, एक व्यक्ति के अंगदान से न्यूनतम 9 लोगों का जीवन बचाया जा सकता है । भारतवर्ष में आज के समय में पचास हजार से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिनको लीवर और दिल की अत्यंत आवश्यकता है । इसी तरह करीब 1 लाख से ज्यादा लोग ऐसे है,जिनको किडनी की आवश्यकता है। डॉ गौड़ द्वारा नेत्रदान की वर्तमान समय में जरूरत, नैत्रदान की प्रक्रिया व नैत्रदान से जुड़ी भ्रान्तियों पर विस्तार से जानकारी दी गयी । इसके साथ ही उनको कॉर्निया की अंधता के कारण व उनके निवारण पर भी विस्तार से समझाया गया । नैत्रदान मृत्यु के बाद होने वाली ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पूरी आँख न लेकर सिर्फ कॉर्निया लिया जाता है,10 मिनट में पूरी हो जाने वाली इस प्रक्रिया में किसी तरह का कोई रक्त नहीं आता है, और न हो इससे चेहरा विकृत होता है। 2 वर्ष से 80 वर्ष के व्यक्ति का नैत्रदान संभव है। चश्मा लगा हुआ, मोतियाबिंद के ऑपरेशन हुए, ब्लड प्रेशर, हृदय सम्बंधित बीमारी की दवा लेने वाले व्यक्ति का नैत्रदान संभव है। मृत्यु के बाद 8 घंटे में , सर्दियों में 10 घंटे में व डीपफ्रीज़ में पार्थिव शव को रखने पर 24 घंटे में भी नैत्रदान संभव है। इस अवसर पर एएनओ लेफ्टिनेंट डॉ पारुल सिंह ने कहा कि, देश को अच्छे नागरिक देने के लिये अच्छी शिक्षा के साथ साथ, समय समय पर इस तरह के सामाजिक कार्यों की कार्यशाला से बच्चों में न सिर्फ समाज, देश के प्रति दायित्व बढ़ता है, बल्कि उनमें नई ऊर्जा व आत्मविश्वास का संचार करता है। इस उद्देश्य के साथ ही स्काउटर गाइडर को नैत्रदान के बारें में बताया गया । कार्यशाला के अंत में प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया । सही उत्तर देने वालों स्काउट गाइड को शाइन मैडल देकर पुरस्कृत भी किया गया। शिविर में नैत्रदान-अंगदान से सम्बंधित भ्रान्तियों पर बच्चों को जानकारी दी गयी। जागरूकता कार्यक्रम के उपरांत बच्चों से नैत्रदान- अंगदान के विषय पर सवाल पूछे गये, जिनका बच्चों ने बहुत अच्छे तरीके से ज़वाब दिया। कार्यशाला में 7 राज गर्ल्स बटालियन के हवलदार मुरुगसेन, हवलदार अमरेंद्र इत्यादि ने भी भाग लिया।

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