अमृता हाट में हुआ संभाग स्तरीय कवि सम्मलेन
दुष्यंत सिंह गहलोत
कोटा (मातृभूमि न्यूज़)। राजस्थान सरकार के द्वारा दशहरा मैदान में महिला अधिकारिता विभाग के माध्यम से आयोजित संभाग स्तरीय अमृता हाट में सोसाइटी हैस ईव शी इंटरनेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा संभाग स्तरीय कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया जिसमें 19 कवियों ने अपने काव्य पाठ किया।
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कवि सम्मलेन की संयोजक डॉ. निधि प्रजापति ने बताया की कवि सम्मलेन के मुख्य अतिथि महिला अधिकारिता विभाग के जिला निदेशक मनोज मीणा एवं अध्यक्षता वीमेन वेलफेयर आर्गेनाईजेशन ऑफ़ वर्ल्ड की अध्यक्ष नीतू मेहता भटनागर रही। शाम 6 बजे से लेकर रात 9 बजे तक एक के बाद एक 19 कवियों ने महिला सशक्तिकरण, राम, कृष्ण, विद्यार्थी अभिप्रेरणा, कोटा के विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर काव्यपाठ किया। काव्य पाठ करने वालो में राष्ट्रपति के सामने अपनी कविता का लोहा मनवाने वाले 13 वर्षीय पार्थ शर्मा से कवि सम्मलेन की शुरुआत हुई जिसने माँ की महानता का बखान करते हुए माँ की जीवन में क्या स्थान है और किस तरह से वो अपने बच्चे की रक्षा, सुरक्षा के लिए शेर से भी लड़ जाती है बताया। पार्थ शर्मा ने भगवान राम को अपने शब्दों ऐसे पिरोया की पूरा दशहरा मैदान तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा। तत्पश्चात बारी बारी से कवि सम्मलेन में एडवोकेट प्रतिभा दीक्षित, डॉ. नेहा अवस्थी ‘नेह’, पूनम तिवारी, आभा मिश्रा और मेघना जैन ने संगीतात्मक लय और छंदों में भगवान कृष्ण और नारी के विभिन्न स्वरुपों को ऐसे प्रस्तुत किया की लोग मंत्र मुग्ध हो गए। आये दिन कोचिंग संस्थानों में पढने वाले बच्चों को आत्महत्या से रोकने के लिए बच्चों को कविता के माध्यम से प्रेरित किया की आपकों इसका कोई हक़ नहीं की ईश्वर के द्वारा दिए जीवन को आप नष्ट करे, जीवन अनमोल है और इसका सम्मान करना चाहिए, दुःख आते जाते रहते है ये जीवन का एक अंग है इससे घबराना नहीं चाहिए। रुपनारायण संजय ने देश कि एकता, अखंडता, विविधता वाले जय जय राजस्थान, जय जय हिंदुस्तान और दिलीप सिंह हरप्रीत ने कोरोना काल से अब तक हुए कोटा के अद्भुत विकास को ‘कोटो टोकियों हो गयो रे कोटो टोकियों हो गयो’ वाले अपने राजस्थानी और हाडौती भाषा के काव्य पाठ से मेले का समां ही बांध दिया। सुशील कलवार और इन्द्र पाल सिंह ‘निडर’ ने अपने आम जीवन में कैसे पल पल में गानों और घटनाओं से हास्य उत्पन्न होता है उसे काव्य के रूप से प्रस्तुत किया जिससे हर तरफ हसी की फुहारें छुट गयी और लोग ठहाके लगाकर जोर जोर से हँसने लगे। रीना खण्डेलवाल ने घर में पिता की महत्ता को अपने शब्दों में पिरोया वही दिव्यांश पोटर ‘मासूम’ ने अपने काव्य के माध्यम से उन लोगो को ललकारा जो अँधेरे और अकेले में बालिकाओं और महिलाओं के साथ दुराचार करते है और महिला के चंडी रूप से भयभीत होने का सन्देश दिया। सीमा यादव, आशीष पाठक ‘अमृत’, एकता शर्मा, विपिन जैन, बंटी सुमन, अजय सोलंकी और शुभम शर्मा ने देश भक्ति से ओत प्रोत अपनी रचनाएँ मंच पर प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अंत में सभी कवि-कवयित्रियों को मुख्य अतिथि मनोज मीणा, विजय मटाई, ट्रस्ट के सदस्यों कविता जैन, नीतू मेहता, गौरव भटनागर, हनी सक्सेना के हाथों से प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिह्न भेट किया। मंच का सञ्चालन डॉ. निधी प्रजापति और रुपनारायण संजय के द्वारा किया गया।