राजेश खोईवाल
बूंदी (मातृभूमि न्यूज)। गाय-भैंस में फैल रहा लम्पी वायरस भूलकर भी न पिएं कच्चा दूध, वरना आप पड़ेंगे बीमार, समझिए इससे कैसे बचें। भारत में बहुत से आम लोगों की रोजी-रोटी का साधन गाय है। अगर दो-चार गाय शाम को समय से घर न आए, तो लोग उन्हें ढूंढने निकल जाते हैं, लेकिन राजस्थान में तकरीबन 75 हजार गाय-बछड़े लम्पी वायरस से मर चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से तो 43 हजार हैं। मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी लम्पी वायरस गायों में फैल रहा है। इसकी वजह से दूध-दही की कमी हो रही है। इन सब के बीच सवाल उठता है कि क्या लम्पी वायरस से संक्रमित गाय के दूध में भी संक्रमण होता है, जो इंसानों के शरीर में जाकर उन्हें भी बीमार कर सकता है।
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लम्पी वायरस क्या है, जिसकी वजह से गायों की मौत हो रही है- ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाइजेशन (GAVI) के अनुसार, लम्पी वायरस गाय और भैस में होने वाली बीमारी है। यह एक तरह की स्किन डिजीज है, जो वायरस के कारण होता है। इसे Capripoxvirus के नाम से भी जाना जाता है। अगर आप लम्पी वायरस संक्रमित गाय-भैंस से दूध निकाल रहे हैं, तो अपने बचाव के लिए ये उपाय करें- मास्क पहनकर दूध निकालें, हैंड हाइजीन का ख्याल रखें, दूध निकालने के बाद हैंड सैनिटाइज करें, दूध निकालने से पहले भी हाथ साफ करें व दूध निकालते वक्त हाथों में ग्लव्स जरूर पहने। आम इंसान को ये नहीं पता होता है कि, जो दूध वो पी रहे हैं, वो संक्रमित है या नहीं। ऐसे में बीमार न पड़ने के लिए वो क्या उपाय कर सकते हैं।
पशु चिकित्सक डॉ. एलएम जोशी के अनुसार, दूध को कम से कम 15 मिनट तक अच्छी तरह उबालना चाहिए, ताकि उसमें मौजूद बैक्टीरिया काफी हद तक खत्म हो सकें। वहीं कर्नाटक के चीफ वेटनरी ऑफिसर डॉ प्रदीप कुमार एन बताते हैं कि किसी भी हालत में कच्चा दूध न पिएं, न ही बच्चों को पिलाएं। गाय और भैंस का दूध संक्रमित कैसे हो जाता है डॉ प्रदीप कुमार एन के अनुसार, गाय और भैंस ब्रूसेला और साल्मोनेला बीमारी की वजह से संक्रमित हो जाते हैं। यानी जिन पशुओं को ये बीमारियां होंगी, उनका दूध भी संक्रमित हो जाएगा।
गाय-भैंस का संक्रमित दूध पीने से इंसानों को कौन सी बीमारियां यानी जूनोटिक रोग हो सकते हैं- ये छह बीमारियां हो सकती है जिनमे ब्रूसिलोसिस, तपेदिक यानी टीबी, क्लास्ट्रीडियल संक्रमण, बोटुलिजम, क्रिप्टोस्पोरिडियोसिस व कैम्पायलो बैक्टिरियोसिस।
डा. एलएम जोशी कहते हैं कि अगर किसी दूध देने वाले पशु को टीबी की बीमारी है, तो उसका वायरस दूध में आ सकता है। जिसे पीने के बाद इंसान भी बीमार पड़ सकता है। इसके साथ ही थन से दूध निकालने से पहले गाय या भैंस ने गंदे पानी में नहाया है, तो उस गंदगी के बैक्टीरिया भी दूध में आ सकते हैं। दूध उबालने से काफी हद तक बैक्टीरिया और वायरस मर जाते हैं, लेकिन कौन सी ऐसी चीज है, जो उससे खत्म नहीं होती है। केमिकल। जी हां, अगर दूध वाले ने उसमें केमिकल मिलाया है, तो इसे उबालने पर भी वो खत्म नहीं होगा। इसलिए कोशिश करें कि जिन दुकानों या जगहों पर केमिकल दूध मिलने की आशंका या चर्चा है, वहां से दूध न लें। पशु चिकित्सक डॉ. एलएम जोशी के अनुसार, दूध को कम से कम 15 मिनट तक अच्छी तरह उबालना चाहिए, ताकि उसमें मौजूद बैक्टीरिया काफी हद तक खत्म हो सकें। वहीं कर्नाटक के चीफ वेटनरी ऑफिसर डॉ प्रदीप कुमार एन बताते हैं कि किसी भी हालत में कच्चा दूध न पिएं, न ही बच्चों को पिलाएं। गाय और भैंस का दूध संक्रमित कैसे हो जाता है?डॉ प्रदीप कुमार एन के अनुसार, गाय और भैंस ब्रूसेला और साल्मोनेला बीमारी की वजह से संक्रमित हो जाते हैं। यानी जिन पशुओं को ये बीमारियां होंगी, उनका दूध भी संक्रमित हो जाएगा।
गाय और भैंस को होने वाले लम्पी वायरस का इलाज क्या है- इसके लिए एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है। एक्सपर्ट्स की मानें तो, इसे फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका है, संक्रमित गाय-भैंस को कम से कम 28 दिन के लिए आइसोलेट करना। इस दौरान उनके लक्षणों का इलाज होते रहना चाहिए।
देश में लम्पी वायरस को कैसे कंट्रोल किया जा रहा है-गॉट पॉक्स वैक्सीन लगाई जा रही है। नेशनल डेयरी डेवलेपमेंट बोर्ड ने लम्पी से बचाव के लिए गुजरात, राजस्थान और पंजाब को गॉट पॉक्स वैक्सीन की 28 लाख डोज भेजी हैं।
केंद्र सरकार ने लंपी के लिए लंपी-प्रोवैक आईएनडी नाम से एक नई स्वदेशी वैक्सीन लॉन्च की है। इसे इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च यानी ICAR की हिसार और बरेली यूनिट ने विकसित किया है।
कैसे पता चलेगा कि आपकी गाय या भैंस लम्पी वायरस संक्रमित है- लक्षण से पता लगाया जा सकता है। जैसे गाय या भैंस को तेज बुखार और शरीर पर गांठ होना।
इस वायरस से बीमार गाय या भैंस में बांझपन की समस्या आ सकती है। तेजी से वजन कम हो सकता है और उनकी दूध देने की क्षमता भी घट जाती है।
संक्रमित होने वाले गाय या भैंस में लक्षण कैसे दिखाई देते हैं, समझिए- Virus इंफेक्शन यानी संक्रमण होने के बाद लक्षण दिखने में 4-7 दिन का समय लगता है। शुरुआत में गायों या भैसों की नाक बहने लगती है, आंखों से पानी बहता है और मुंह से लार फिर पशु के शरीर पर 10-50 मिमी गोलाई वाली गांठ निकल आती हैं। शरीर में सूजन भी आ जाती है। पशु खाना बंद कर देता है, क्योंकि उसे चबाने और निगलने में परेशानी होने लगती है। इससे दूध का प्रोडक्शन घट जाता है। ज्यादा दूध देने वाली वाली गायों पर लम्पी का खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि उनकी शारीरिक और मानसिक ताकत दूध उत्पादन में लग जाती है, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं। कई बार लम्पी से संक्रमित गायों की एक या दोनों आंखों में गहरे घाव हो जाते हैं, जिससे उनके अंधे होने का खतरा रहता है।
जानवरों में बांझपन और गर्भपात की समस्या नजर आती है। जानवर बहुत कमजोर हो जाता है। ये लक्षण 5 हफ्ते तक बने रहते हैं। इलाज न होने पर मौत भी हो सकती है।