फिरोज़ खान

बारां (मातृभूमि न्यूज़)। देवरी कस्बे में कुपोषण से हुई सहरिया बालिका की मौत पर किशनगंज शाहाबाद से पूर्व विधायक ललित मीना ने राज्य सरकार व जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाकर सवाल उठाए। 

सरकार की अनदेखी व अधिकारियों की लापरवाही से काल का ग्रास बनी 3 वर्षीय मासूम बिंदिया की मौत के बाद पूर्व विधायक ललित मीना मृतक बालिका के परिजनों से मिले और जानकारी ली। मृतक बालिका बिंदिया की पांच वर्षीय बहिन काजल भी कुपोषित है एवं उसकी मां पपीता सहरिया टीबी से पीड़ित है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासन में जिले में सहरिया समाज के लिए 10 एमटीसी संचालित थे, जिनमें प्रत्येक में 3 नर्सिंग कार्मिक कुपोषित बच्चो की देखभाल के लिए कार्यरत होते थे,वर्तमान कांग्रेस सरकार ने 8 एमटीसी को बंद कर दिया है। वहीं गत वसुंधरा राजे सरकार के समय एमटीसी में भर्ती कुपोषित के अभिभावकों को रू.200/- प्रतिदिन का आर्थिक संबल भोजन व प्रोत्साहन हेतु दिया जाता था जिसे गरीब विरोधी गहलोत सरकार ने बन्द कर दिया। ऐसे में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले परिवार काम छोड़कर ईलाज नही करवा पाते। मीना ने कहा कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि व सरकार में प्रतिनिधित्व करने वाले जिले के जनप्रतिनिधियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। जबकि उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे टीएडीए अधिकारियों से वार्ता कर कोई गंभीर कदम उठाए। जिले में संचालित बारां व शाहाबाद एमटीसी में पर्याप्त आहार पोषण पैकेट नही मिल रहे हैं। जिला प्रशासन व चिकित्सा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए पूर्व विधायक मीना ने कहा कि अडानी फाउंडेशन के सहयोग से सीएसआर फंड से लगभग 50 लाख की लागत से प्रशासन, चिकित्सा तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से ‘नया सवेरा’ प्रोजेक्ट शुरू किया गया था जिसके तहत 24 मई से 15 जून तक बच्चों की स्क्रीनिंग की जानी थी और 28 जून से 6 सितंबर तक चिन्हित कुपोषित बच्चों का उपचार किया जाना था। जिला प्रशासन द्वारा माननीय मुख्य सचिव महोदया को जो प्रजेंटेशन दिया गया था उसकी गाइड लाइन को फ़ॉलो नहीं किया गया जिससे लगता है की वर्तमान में प्रशासन व चिकित्सा विभाग द्वारा उक्त समस्त कार्य केवल दस्तावेजों और फाईलों में किए जा रहे हैं। किशनगंज- शाहाबाद में 6 से 59 माह तक के प्रत्येक बच्चे की स्क्रीनिंग होने के पश्चात भी बालिका की मौत होना इसका प्रमाण है। उन्होंने कहा कि यदि ‘नया सवेरा’ कार्यक्रम को यदि धरातल पर किया जाता तो मासूम को बचाया जा सकता था। वहीं सहरिया बाहुल्य क्षेत्र में 104 व 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा सुचारू  रूप से संचालित नही है जिसके चलते रैफरल व्यवस्था समय पर नही मिलती है। पूर्व विधायक मीणा ने कहा कि नया सवेरा कार्यकम लगभग चार माह देरी से संचालित हो रहा है जिससे मासूम कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। स्क्रीनिंग के पश्चात भी अति गंभीर कुपोषित बच्चो को रेफर नहीं करना जांच का विषय हैं।

बालिका की मौत के बाद हरकत में चिकित्सा विभाग ने क्षेत्र के पठारी गांव के रहने वाले एक कुपोषित बालक को शाहाबाद एमटीसी में भर्ती कराया गया जहां से मासूम को कोटा रैफर कर दिया गया। गौरतलब है कि पूर्व में पठारी गांव के तीन बच्चे अकाल मौत का ग्रास बन चुके हैं।

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