आठ हजार रह गई थी प्लेटलेट, कुल 164 बार डोनेशन कर बने गुप्ता प्रेरणास्रोत
दुष्यंत सिंह गहलोत
कोटा (मातृभूमि न्यूज़)। टीम जीवनदाता में हर सदस्य का अपना महत्व है, लोगों को मोटिवेट कर रक्तदान व एसडीपी डोनेशन का सेवा कार्य निरंतर किया जा रहा है, साथ ही स्वयं भी डोनेशन कर लोगों को संदेश भी दे रहे हैं। ये ही नहीं मरीज की स्थिति गंभीर हो तो समय से पहले भी एसडीपी डोनेशन हो रहा है।
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ऐसा ही एक मामला देर बीती रात को हुआ जब बूंदी निवासी मरीज नंद बिहारी को प्लेटलेट काउंट कम होने पर शीघ्र ही आरडीपी या एसडीपी चढाए जाने के लिए चिकित्सक ने कहा। देर रात तक अपने स्तर पर हर जगह प्रयास किए लेकिन कोई मदद को सामने नहीं आया। मदद की गुहार बूंदी तक पहुंची। बूंदी प्रशासन के किसी ने भुवनेश गुप्ता का नम्बर दिया और कहा कि निश्चित मदद होगी। और एसडीपी उपलब्ध कराए जाने के लिए कहा। वह अपने परिवार सहित गणपति दर्शन को निकले थे, ऐसे में रात एक बजे जब घर पहुंचे तो पता चला की मरीज की स्थिति बिगडती जा रही है। पत्नी डॉ. क्षिप्रा गुप्ता ने उन्हें मोटिवेट किया कि मरीज की स्थिति गंभीर है तो जाना चाहिए। रात करीब 2.30 बजे गुप्ता अपना ब्लड बैंक पहुंचे, समस्त आवश्यक जांचों के पश्चात रात करीब 3.30 बजे एसडीपी शुरू हुई और सुबह करीब साढे पांच बजे पूरी हुई। भुवनेश गुप्ता ने बताया कि उन्होंने 60वीं बार एसडीपी डोनेट की और 104 बार वह पूर्व में रक्तदान कर चुके हैं, कुल डोनेशन 164 बार हो गया है। उन्होंने कहा कि मरीज की स्थिति बेहद खराब थी, परिजन मनीष मीणा व हनुमान मीणा चिंतित थे, ऐसे में कई जगह कॉल किया लेकिन रात ज्यादा होने से किसी ने फोन नहीं उठाया, समय बढता चला गया और सुबह हो गई। गुप्ता ने बताया कि उनको एसडीपी डोनेट किए हुए महज 22 दिन हुए थे, इसलिए उन्होंने डोनर की तलाश की, लेकिन मामला अर्जेंट था, इसलिए उन्होंने समय से पूर्व ही एसडीपी डोनेशन कर मरीज के जीवन को बचाने का प्रयास कर मानव सेवा का अपना धर्म निभाया। हालाकी मरीज को आरडीपी दी गई थी, लेकिन जान बचाने के लिए उसे एसडीपी चढ़ाया जाना आवश्यक था, उसके बाद पूरी प्रक्रिया कर एसडीपी डोनेट की गई। अलसुबह हुई इस व्यवस्था से बूंदी के सुदूर गांव से आए परिजन के आंखों में आंसू थे, उन्होंने कहा कि ये सबकुछ ईश्वर की देन थी अन्येथा व्यवस्था मुश्किल होती जा रही थी।