क्षेत्र के दर्जनों सरकारी विद्यालयों के बारिश में हाल बेहाल

आदित्य सोनी 

किशनगंज (मातृभूमि न्यूज़)। नाहरगढ़ क्षेत्र के सिमलोद ग्राम में दो वर्ष पहले बना विद्यालय भवन के कमरो की बारिश के दौर ने सरकारी स्कूलों की पोल खोलकर रख दी है। छतों से टपकते पानी ने कक्षाओं में मैदान में भरे डबरों जैसे हालात पैदा कर दिए हैं तो बच्चों को सिकुड़कर एक तरफ जहां सूखा है वहां बैठकर पढ़ाई करना पड़ रहा है। प्रशासन स्कूलों में तो अच्छे परिणाम की बात करता है किंतु बरसात में इन स्कूलों के हालात बताते हैं कि ये स्कूल केवल सर्दी और गर्मी में ही ठीक रहते हैं। बरसात में तो पूरे के पूरे स्कूल, इनकी छतें और दीवारों से रिसता पानी इनकी कहानी कहने के लिए पर्याप्त है। गांव निवासी रामस्वरूप लोदी का कहना है कि ठेकेदार ने घटिया निर्माण किया है ।दो साल पहले  निर्माण करते समय भी शिकायत की थी पर कोई फर्क नही पड़ा उस का आज नतीजा स्कूल के बच्चों को झेलना पड़ता है। मातृभूमि न्यूज़ सवांददाता आदित्य सोनी ने क्षेत्र के कुछ स्कूलों का दौरा किया तो यह हकीकत सामने आई। नाहरगढ़ राजकीय सीनियर सेकंडरी विद्यालय जो कि हाल ही में कॉलेज हुआ है पर कोई बदलाव नही वही पुराने कमरे वही कंडीसन वही मैदान में भरा हुआ पानी बया करता है । कि जब से विद्यालय बना है जबसे लेकर आज तक यहां पर मैदान में बरसात में हमेशा पानी भरता है लेकिन आज तक कोई मजाल की मिट्टी भी डल जाए। नाहरगढ़ क्षेत्र के गिगचा गांव में माध्यमिक विद्यालय की छत से टपकता पानी बया करती है कि जहाँ जहाँ सरकारी विद्यालय का निर्माण हुआ है घटिया ही हुआ है । टपकती छत के नीचे बैठ कर पढ़ाई करना मुश्किल होरहा है । नाहरगढ़ राजकीय सीनियर  सेकेंडरी विद्यालय में नवी व दसवीं कक्षा के कमरा छोटा और बालिका 120 है। यहाँ के विद्यालय की बात की जाए तो यहां कमरा तो छोटा है और  छात्राओ की संख्या 120  है जो की कमरे के बाहर तक बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर है। कमरा छोटा होने की वजह से कई बालिकाओ का तो दम घुटने लगता है। पर क्या करे बैठने के लिए मजबूर है। गांव कस्बे के कई विद्यालय ,विद्यार्थियों की हालत ऐसे ही है। जो हर रोज देखने को मिलती है प्रशासन इस ओर ध्यान देना नही चाहता है।

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