उपेन्द्र सुमन
कवाई (मातृभूमि न्यूज़)। कस्बे में जलझूलनी एकादशी के महापर्व पर कस्बे के मंदिरों से बैंड बाजे के साथ देव विमानों की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में कस्बे में स्थित माली समाज कोली समाज ब्राह्मण तेली अग्रवाल अन्य समाजों ने देव विमानों को बैंड बाजा और ढोल नगाड़ों से एक साथ शोभायात्रा निकाली।
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कस्बे में गत 2 वर्षों से कोरोना के चलते विमानों की शोभायात्रा नहीं निकल पा रही थी देव विमान शोभायात्रा के आगे हनुमान व्यामशाला का अखाड़ा चल रहा था जिसमें कस्बे के पहलवान एवं अखाडा बाज अनेक प्रकार के करतब दिखाते हुए चल रहे थे। हनुमान व्यामशाला के अखाड़े बाजो के द्वारा दिखाए गए करतबो को देखकर एक बार तो लोग दंग रह गए यहां पर देव विमानों की शोभायात्रा एवं हनुमान व्यामशाला के द्वारा निकाले जाने वाले अखाड़े को देखने के लिए आसपास के गांवों से भी सैकड़ों लोग आते हैं कस्बे के गड़ी चौक में जलझूलनी एकादशी के महापर्व पर एक दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग पहुंचकर मेले का लुफ्त उठाकर आनंद लेते हैं देव विमानों की शोभायात्रा परंपरागत मार्ग से होती हुई शोभायात्रा में शामिल सभी देव विमान गड़ी परिसर बड़े तालाब पर पहुंचे जहां सामूहिक रूप से देव विमानों का जलवा पूजन कर महा आरती की गई।
सूर्य देव के साक्षी में हुआ जलवा पूजन- जलझूलनी एकादशी महापर्व की मान्यता है कि जलझूलनी एकादशी के दिन मैया यशोदा श्री कृष्ण भगवान के जन्मोत्सव के 18 दिन बाद मनाया जाता है इस पर्व की मान्यता यह है कि द्वापर युग में जलझूलनी एकादशी के दिन मैया यशोदा भगवान श्री कृष्ण को लेकर नदी के तट पर जलवा पूजन की रस्म पूरी करने गई थी यह जलवा पूजन की रस्म सांयकाल के समय सूर्य देव को साक्षी मानकर पूर्ण किया जाता है उसी समय से जलझूलनी एकादशी के दिन देव विमानों की शोभा यात्रा के साथ जलवा पूजन एवं महाआरती करने की परंपरा चली आ रही है।