सफाई के दौरान ही छिले पी ओ पी से हाथ पैर
दुष्यंत सिंह गहलोत
कोटा (मातृभूमि न्यूज़)। गणेश चतुर्थी को प्रारम्भ हुए गणेश महोत्सव के साथ ही पूरे शहर गणपति मय हुआ, जगह जगह भगवान गणेश के जयकारे, गणपति बप्पा मोरिया के जयघोष सुनने को मिले, पूरा शहर भक्तिमय वातावरण और श्रद्धा से सराबोर था। उसके बाद दो दिन पूर्व आई अनंतचतुर्दर्शी के अवसर पर लाखों लोगों ने अपने घरों में विराजित गजानन को भक्ति, श्रद्धा, भावना के साथ जलाशयों में विसर्जित कर दिया और फिर जिस गणेश जी को 10 दिनों तक स्नेह, ममता, लाड़, प्यार, दुलार और प्रेम भावना के साथ घरों में रखा उनकी दुर्गति प्रारम्भ हुई। शहर के सभी प्रमुख जलाशयों में औसतन सवा लाख के करीब मूर्तियों का विसर्जन हुआ जिनमें से 5 प्रतिशत को छोड़ कर सभी पी ओ पी से निर्मित थी जिन पर व हानिकारक ऑयल पेंट हो रहा था।
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ऐसे में अमेरिका की गांधियन सोसाइटी के द्वारा भारत में शुरू की डॉ. एस. एन. सुब्बाराव फेलोशिप के अंतर्गत डॉ. निधि प्रजापति के साथ रीना खंडेलवाल, ज्योति भदौरिया, नाबार्ड के जिला समन्वयक विजय निगम सहित कुछ बच्चों ने भीतरिया कुंड में विसर्जित किये गए गणेश जी की प्रतिमाओं को निकालकर कुंड में श्रमसंस्कार करते हुए सफाई की । इस दौरान फेलो डॉ. निधि प्रजापति ने बताया कि पी ओ पी की वजह से चम्बल के पानी का तापमान बढ़ा हुआ महसूस हो रहा था, यहाँ तक कि 3 घंटे सफाई के बाद के हम सभी के हाथों और पैरों से परत निकलने लगी थी, किनारे पर कुछ मछलियां मरी हुई थी। मूर्तियों की दुर्दशा देखी नही जा रही थी, घाट के अंदर पैर रखने की जगह भी नहीं थी सदा नीरा चम्बल के पानी के दर्शन तो दूर की बात है, कुंड के पानी में हर तरफ टूटी-फूटी मूर्तियों के अंश और खंडित अंग पड़े थे। मूर्तियों को यदि कोई ऐसे हालातों में देखले तो शायद ही कभी गणपति जी को अपने घर से विदा करेगा व ना हीं कभी पी ओ पी की मूर्ति घर लेकर आएगा क्योंकि ये वही चम्बल है जिसमें कोटा शहर के 22 छोटे बड़े नाले आकर गिरते है । इस मौके पर रीना खंडेलवाल ने बताया कि हर इंसान को स्वयं जिम्मेदार लेकर पी ओ पी की मूर्ति का पूर्ण रूप से बहिष्कृत कर मिट्टी की मूर्ति का उपयोग करना चाहिए और यदि बाजार में मिट्टी की मूर्ति न मिल रही हो तो खुद बना कर उसमें बीज रख कर 10 दिन की सेवा पूजा के बाद उन्हें घर में ही गार्डन या गमले में विसर्जित करना चाहिए ताकि गणपति के साथ आई सुख समृद्धि भी सदा के लिए घर मे बनी रहे और गणपति जी भी पेड़ या पौधे के रूप में हमारे साथ रहे। विजय निगम ने कहा की हम सभी को हमेशा मिट्टी से बनी हुई गणेश प्रतिमा का ही पूजा में उपयोग करना चाहिए तभी बप्पा का मान सम्मान भी बना रहेगा और हमारी पूजा अर्चना सफल होगी | कुंड की सफाई के कार्य में वहाँ उपस्थित बबलू महावर, राघव राजपूत, जय प्रजापति, सोनू, चंदू और सौरभ का भी विशेष योगदान रहा। वहाँ उपस्थित अधिकांश लोग ऐसे थे जो कह रहे थे कि प्रशासन को पूर्णतः सख्ती से पी ओ पी की मूर्ति निर्माण को बंद कराना चाहिए और घाट पर उपस्थित विक्षिप्त मूर्तियों को सम्मान जनक तरीके से अन्य स्थान पर लेकर जाए। साथ ही गांधियन सोसाइटी के द्वारा आगामी दिनों में अमेरिका और भारत की इकाइयों के माध्यम से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया जाएगा कि अगले साल से सामूहिक विसर्जन और पी ओ पी से निर्मित मूर्तियों पर पूर्ण रूप से रोक लगाई जाए जिससे जलीय जीवों का जीवन संकट में न आये और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बना रहे।