2600 साल पुराने सिक्के, प्लास्टिक व गत्ते के अद्भुत नोट, एक इंच की गीता और कुरान ने किया हैरान

दुष्यंत सिंह गहलोत

कोटा (मातृभूमि न्यूज़)। जिसने भी देखा वह देखता ही रह गया, क्या-क्या लिखें, क्या पढ़े और क्या समझे, इतिहास जाने या धर्मग्रंथ, पुरानी कलात्मक वस्तुओं को देखें या माप तोल बांट, इतना सब कुछ एक ही जगह पर समाहित हो गया कि लोग समझ हीं नहीं पाए की आखिर भारत का इतिहास जाने या विश्व की धरोहर. हम बात कर रहे हैं कोटा में चल रहे कोटा मुद्रा उत्सव 2022 की जहां पर देश की विरासतकालीन मुद्राओं के विभिन्न रूप, 800 प्रकार के विभिन्न विरासतों के सिक्के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं, थोडा सा आगे बढते हैं तो पीछे देखा वह थोडा लगता है, ऐसे चलते गए और पूरा ब्रह्मांड मानो एक ही जगह पर आ गया हो। इस मुद्रा उत्सव में एक से बढकर एक कोइंस देखकर जो भी आया देखकर दंग रह गया। कोटा फ्लेटली एण्ड न्यूम्समेटिक सोसायटी की ओर से  एग्जीबिशन टेÑड फेयर आॅफ कॉइंस, करंसी एण्ड कलेक्टेबल्स के तहत देश की विभिन्न रियासतों और भारत के विभिन्न कालखंड में प्रचलित मुद्राओं को यहां देखने का अवसर मिल रहा है। कार्यक्रम का भव्य शुभारंभ शनिवार को हुआ। मुख्य अतिथि नागरीक सहकारी बैंक के चेयरमैन राजेश बिरला ने कहा कि इस तरह की विरासत को संजाए रखने का ये कार्य सराहनीय है, हमे भारत के इतिहास से तो हमारी युवा पीड़ी को अवगत कराना ही है, इसको संभालकर रखना भी हमारी जिम्मेदारी है। सोसायटी के अध्यक्ष लकेश दंडोना ने कहा कि इस प्रदर्शनी में पहले दिन लोगों की आपार भीड देखने को मिली, स्कूल कॉलेज, कोचिंग के बच्चों के साथ आमजन भी यहां उपस्थित रहा।

गीता कुरान ने भी किया हैरान- परमिंदर सिंह ने बताया कि उनके द्वारा यहां कई ग्रंथों को प्रदर्शनी में लगाया गया है।  भगवत गीता जम्मू के महाराजा गुलाब सिंह के दरबार में पायकेसर सिंह द्वारा लिखी गई जो यहां लोग देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी भगवत गीता पंजाबी में लिखी गई है, जो सालों पुरानी है, इस गीता में 720 पेज हैं, 20 पेंटिंग है जिसमें गोल्ड वर्क है. इसके साथ ही पत्ते पर लिखी रामायण भी यहां लोगों को लुभा रही है। साथ ही एक इंच की गीता और एक इंच की कुरान भी है, छोटा सा गुरू गंथ साहब भी है. उन्होंने कहा कि जब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ तब ग्रंथों को साथ लेकर जाना चुनौती थी, ऐसे छोटे ग्रंथ उस समय के यहां प्रदर्शित किए गए हैं. ऋगवेद, पंजाबी पौथियां सहित कई प्राचीन ग्रंथों को देख लोग अभिभूत हो रहे हैं। उनका कहना है कि युवाओं तक ये जानकारियां पहुंचाना ही उनका उद्देश्य है।

कोटा रियासत सहित राजस्थान की मुद्रा भी अनोखी है- प्रदर्शनी के दौरान राजस्थान की रियासत के अमूल्य सिक्के, नोट का प्रदर्शन होगा। माना जा रहा है कि यहां 2600 साल पुरानी मुद्रा भी देखने को मिल रही है, वहीं कोटा बूंदी, झालावाड़, जयपुर, जोधपुर, प्रतापगढ़, जैसलमेर, करोली, मेवाड, बीकानेर, केकडी, जयपुर, भरतपुर,  सहित कई जगह के राज परिवारों द्वारा प्रचलित मुद्रा भी आकर्षण का केन्द्र है। राजस्थानी संस्कृति को अपने में संयोए करीब 250 से 300 साल पुराने सिक्के यहां हैं.

श्रीराम और हनुमान के सिक्के, प्लास्टिक नोट भी निराले- कोटा में चल रही प्रदर्शनी में 1616 र्इं के भगवान श्रीराम और हनुमान जी के तांबे के सिक्के भी यहां लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। इसके साथ ही प्लास्टिक के नोट जो पहली बार 1988 में आष्ट्रेलिया में प्रचलन में आए और अब 65 देशों में चल रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि ये भारत में चल सकते हैं। ये खराब नहीं होते, मुडते नहीं है, इनके नकली नोट नहीं बन सकते, और डिस्ट्रोय कर वापस काम में लिए जा सकते हैं। कोटा के पवन हटीला द्वारा प्लास्टिक के नोट की प्रदर्शनी लगाई गई है।

प्लास्टिक के नोट, सुरमेदानी सहित प्रतिकारात्मक सिक्के भी आएंगे नजर- कोषाध्यक्ष नरेन्द्र कुमार कटियाल ने बताया कि प्रदर्शनी कम सेल के माध्यम से कई एतिहासिक मुद्रा, कला संस्कृति से लबरेज प्रतिकारात्मक सिक्के के साथ अन्य वस्तुएं भी यहां आकर्षण का केन्द्र है। इसमें कोटा के पवन हटीला द्वारा प्लास्टिक के नोट, सरदार मंजीत सिंह अहमद गढ के द्वारा महाराजा रणजीत सिंह की रियासत के सिक्के, मिंट टकसाल लगाए गए हैं। इसके साथ ही अशोक राटा केकडी द्वारा 10 रुपए से 1000 रुपए तक के प्रतिकारात्मक सिक्के जो विशेष अवसरों पर जारी किए गए हैं वह भी यहां की शोभा बढाएंगे। शेख इफ्तकार हुसैन मलेर कोटला द्वारा विशेष और आकर्षक सुरमेदानी का कलेक्शन लेकर आ रहे हैं जो लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। अजय अग्रवाल द्वारा ग्वालियर रियासत के सिक्के यहां लगाए जाएंगे। लुधियाना के चमकोर सिंह द्वारा यहां सिख कोइंस व आजादी दौरान के व  सतलुज रियासत के सिक्के भी यहां रहेंगे। तरूण सिंगला भटिंडा मोडमंडी से यहां आ रहे हैं जो मुगल व ब्रिटिश विलियम, किंग जार्ज तक के सिक्के यहां प्रदर्शित किए गए हैं। वैभव शर्मा द्वारा 2600 साल पुराने सिक्कों का इतिहास यहां देखने को मिल रहा है। लकेश दंडोना ने बताया कि लुधियाना के हरजीत सिंह लोटे द्वारा वायर पजल लगाए गए हैं। लुधियान के ही जगरूप सिंह द्वारा साइकिल के टोकन (लाइसेंस) और कोटा के सौरभ लोढा द्वारा स्टॉम्प, सिक्के, डाक टिकट की प्रदर्शनी भी यहां आकर्षित कर रही है। इसके साथ ही शुभम लोढा द्वारा जर्नी आॅफ टेलीग्राम से भी लोगों को अवगत कराया जा रहा है। इसके साथ ही यहां कोडी, एक, दो पैसा सहित देश विदेश की कई आकर्षित करने वाली मुद्रा का संकलन एक ही जगह पर देखने को मिल रहा है।

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