शोक को भूल, पति के नैत्रदान संकल्प को पूरा करवाया
दुष्यंत सिंह गहलोत
कोटा (मातृभूमि न्यूज़)। विकास नगर बूंदी निवासी श्रीमान सत्यनारायण जी शर्मा (70 वर्ष) (सेवानिवृत्त गुणवत्ता अधिकारी फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया) का आज सुबह हृदयाघात से आकस्मिक निधन हो गया। उन्होंने पत्नी मंजू गौतम के साथ में 3 वर्ष पूर्व शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ अपना नेत्रदान संकल्प पत्र भरा हुआ था।
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सतनारायण सरल स्वभाव वाले, मिलनसार और विनम्र व्यवहार की व्यक्ति थे। सेवानिवृत्ति के बाद ज्यादातर समय उनका ईश्वर भक्ति में रहता था,आज सुबह दी आस पड़ोस के लोगों ने उनको पार्क में घूमते देखा था,पर घर पर ही कब अचानक उनकी तबीयत खराब हुई और हृदयाघात से उनका निधन हो गया। पिता की मृत्यु की शोक की खबर से बेटियां रीना, रुचि और बेटा अमित शर्मा अपनी सुध खो बैठे, परंतु उनकी पत्नी मंजू शर्मा ने शोक का समय होने के बाद भी, बहुत ही साहसिक कार्य किया कि, उन्होंने तुरंत ही अपने ड्राइवर महेश शर्मा को कहा कि, बाबूजी ने नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा हुआ था,तुरंत ही उनके नेत्रदान करवाने के लिए शाइन इंडिया के ज्योति मित्र इदरीस बोहरा को संपर्क कर कोटा से टीम बुलवाकर इनके नेत्रदान का पुनीत करवाओ।
इदरिस की सूचना पर तुरंत ही शाइन इंडिया फाउंडेशन व ईबीएसआर-बीबीजे चैप्टर के कॉर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ को कोटा में संपर्क किया और एक घंटे में डॉ गौड़ ने बूँदी पहुँचकर नेत्रदान का पुनीत कार्य सत्यनारायण जी के निवास स्थान पर पत्नी,बेटियों और सभी करीबी रिश्तेदारों के बीच संपन्न किया। नेत्रदान की प्रक्रिया के दौरान सभी महिलायें पार्थिव शव के आस पास ही बैठी थी,वह स्वयं भी पहली बार नैत्रदान प्रक्रिया को देख रही थी,वह सब भी नेत्रदान के बारे में जानने के लिए काफी उत्सुकत थी,इदरिस बोहरा ने नेत्र संग्रहण के दौरान ही नेत्रदान प्रक्रिया की सभी बारीकियों को समझाया। नैत्रदान की इतनी सरल प्रक्रिया को अपने सामने होता देखा तो वह जान पाए कि इस प्रक्रिया में ना तो कोई रक्त निकला ना चेहरे में किसी तरह कि कोई विकृति आयी । उपस्थित जनसमूह ने परिवार के इस साहसिक कार्य के लिए बच्चों और मंजू जी की सराहना कि। ज्ञात हो कि 25 अगस्त से 8 सितंबर तक पूरे भारतवर्ष में नेत्रदान जागरूकता पखवाड़ा कार्यक्रम मनाया जा रहा है, उसी के अंतर्गत यह नेत्रदान का होना,निश्चित ही अन्य लोगों को भी प्रेरणा देगा। बूँदी में इस वर्ष 7 पुण्यात्माओं के नैत्रदान हो चुके है,और वर्ष 2011 से अभी तक 41 जोड़ी नैत्रदान शाइन इंडिया व ईबीएसआर-बीबीजे चैप्टर के सहयोग से प्राप्त किये गये हैं।