दुष्यंत सिंह गहलोत
कोटा (मातृभूमि न्यूज़)। मानपुरा रोड, शगुन वाटिका निवासी उमेश मन्तवाल (46 वर्ष) का कल तलवंडी के निजी अस्पताल में आकस्मिक निधन हो गया, जिसके उपरांत घर और समाज के लोगों में काफी कोहराम मच गया। कम उम्र में इस तरह से उनका चले जाना पूरे परिवार को तोड़ गया।
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हृदय विदारक घटना होने के बावजूद भी उमेश के चाचा रामप्रसाद मन्तवाल ने शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्र याशु कोटिया और यूनुस खान को संपर्क कर उमेश के नेत्रदान करवाने की बात की। रामप्रसाद स्वयं भी नेत्रदान के कार्य से काफी समय से जुड़े हुए हैं, उन्हें यह बात भी अच्छे से पता है कि, सिर्फ नेत्रदान ही एक ऐसा माध्यम है जिससे आप ना सिर्फ अपने परिजनों को किसी और की आंखों में जीवित रख सकते हैं,बल्कि नेत्रदान का कार्य शोक को भी कुछ हद तक कम करता है। रामप्रसाद जानते थे कि, परिवार के बीच में नेत्रदान का कार्य संभव नहीं हो सकता है,इस कारण से उन्होंने संस्था सदस्यों को अनुरोध किया कि, पुरोहित की टापरी स्थित मुक्तिधाम में यदि नेत्रदान संभव हो सकता है तो, कृपया वहीं पर उमेश के नेत्रदान का कार्य कर लिया जाये। रामप्रसाद के अनुरोध पर शाइन इंडिया फाउंडेशन और आई बैंक सोसायटी के सहयोग से इबीएसआर, कोटा चैप्टर के सहयोग से पुरोहित की टापरी के मुक्तिधाम में 300 से अधिक लोगों के बीच नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हुई और मुक्तिधाम पर ही सभी लोगों को नेत्रदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उमेश पश्चिम रेलवे में लोको पायलट के पद पर कार्यरत थे, हमेशा लोगों के काम आना और जरूरतमंद की हर संभव मदद करना उनका स्वभाव था, वह शुरू से ही स्वैच्छिक रक्तदाता भी रहे हैं, उनके बड़े भाई प्रेमचंद और छोटे भाई दिनेश बताते हैं कि, पूरे समाज में उनके जैसा व्यक्तित्व वाला व्यक्ति कोई नहीं था, वह सभी उम्र और वर्ग के लोगों के चहेते थे। उपस्थित जनसमूह ने रामप्रसाद, प्रेमचंद और दिनेश के द्वारा उमेश मन्तवाल के नेत्रदान करवाने के कार्य की प्रशंसा की और सभी ने नेत्रदान के बारे में जानकारी लेने के बाद निश्चय किया कि, अंत समय आने से पूर्व नेत्रदान संकल्प कर, परिवार के सभी सदस्यों को इसकी जानकारी देने से अंत समय में नेत्रदान का कार्य होने की संभावना पूरी हो जाती है, केवल इसी प्रयास से हम मृत्यु के बाद भी जीवित रह सकते हैं।