एक अधिकारी एक जगह और कार्यवाही में इतना अंतर, ये माजरा क्या है साब

अमित अग्रवाल

चौमहला (झालावाड)। झालावाड जिले के गंगधार उपखण्ड क्षेत्र के चौमहला क़स्बे में गुरुवार देर रात्रि को उपखण्ड अधिकारी द्वारा देर अंधेरे में बिना जाप्ते के साथ मध्यप्रदेश के राशन के चावल की कालाबाजारी के संदेह वाले मामले में निरीक्षण के दौरान चुपचाप बिना कार्यवाही के निकलने व उस पर 3 दिन बाद भी ठोस कार्यवाही न करने पर उपखण्ड अधिकारी की कार्यप्रणाली पर सन्देह उठ रहा था। जो बाजार में चर्चा का विषय भी बनी हुई थी कि वही उपखण्ड अधिकारी रामवतार मीणा द्वारा 30 अगस्त को क्षेत्र के दो अलग अलग जगह अवैध बजरी के खिलाफ कार्यवाही की गई। जिसमे एसडीएम की कार्यवाही पर सवालिया निशान उठने लगे है। कि आखिर अधिकारी एक और कार्यवाही अलग अलग की गई, इसके पीछे अधिकारी की आखिर मंशा क्या होगी।

पहली कार्यवाही- 30 अगस्त मंगलवार को सुनारी गांव के रास्ते बीच मे अवैध बजरी से भरी एक ट्रैक्टर ट्रॉली मिली, जिसे एसडीएम ने उनके गार्ड द्वारा गंगधार पुलिस थाने भिजवाया दिया गया। वही सुनारी नदी के वंहा एक और ट्रेक्टर ट्रॉली मिली, जिस पर उपखण्ड अधिकारी द्वारा गंगधार पुलिस से जबरन कार्यवाही करवाते हुए उस एक महिंद्रा 275 ट्रेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। जबकि यह कार्य खनन विभाग द्वारा किया जा सकता था। लेकिन एक और जो ट्रेक्टर ट्रॉली उसी क्षेत्र से थाने भिजवाई गई, उस पर 5 दिन गुजर जाने के बाद भी उस ट्रैक्टर ट्रॉली पर न पुलिस न खनन विभाग की कोई कार्यवाही नही की गई जो अभी भी गंगधार थाना परिसर में खड़ा है। जो सवालिया निशान उठा रहा है। आखिर ये पक्षपात व कार्यवाही में अंतर क्यों।

द्वितीय कार्यवाही- उसी दिन 30 अगस्त दोपहर को उपखण्ड अधिकारी द्वारा उन्हेल थाना क्षेत्र के डेलाखेड़ी गांव की नदी में की जाती है। जंहा सिर्फ मौके पर रेत की ट्रॉलियां ही मिलती है, ट्रॉलियां भी करीब 9 की संख्या में रहती है। लेकिन वंहा मौके पर उनके अनुसार एक ट्रैक्टर भी नही मिलता है। कारण बताया गया कि सभी ट्रॉली छोड़कर भाग गए। अब मीडिया के अलावा कार्यवाही की चर्चाओं पर सवाल उठाए जा रहे है।

उठे सवाल – कि डेलाखेड़ी नदी में सभी 9 ट्रेक्टर वाले अपनी अपनी ट्रॉली छोड़कर एक साथ भाग गए होंगे! क्या ट्रेक्टर के साथ ट्रॉली नही जाती है ? और मौके से 9 बजरी से भरी ट्रॉली के साथ एक भी ट्रैक्टर नही मिला ! या कार्यवाही में ज्यादा पेनल्टी से बचाने के लिए कोई सहयोग किया गया। 

उसके बाद इसी कार्यवाही में इसी दिन जाप्ते में उन्हेल पुलिस टीम के जवान मौजूद रहे, लेकिन यह कार्यवाही एसडीएम साब द्वारा उन्हेल पुलिस के द्वारा क्यों नही करवाई गई और खनन विभाग में देने के लिए पुलिस को निर्देशित किया गया। ये कार्यवाही भी उन्हेल पुलिस द्वारा दर्ज की सकती थी। मामला यह खत्म नही हुआ एसडीएम साब द्वारा मौके पर उन्हेल पुलिस की ड्यूटी 2 दिन व रात निगरानी में लगाई गई कि जब तक खनन विभाग के अधिकारी नही आ जाते जब तक  इनका ध्यान रखना है, साब यह किसका कार्य, और कौन कर रहा है यदि कर भी रहा तो कार्यवाही में अंतर क्यों आ रहा है। कार्यवाही में साफ पक्षपात व अंतर नजर आया जो कि एक विचारणीय बन गया। 

अगले दिन 1 सितंबर को खनन विभाग की टीम द्वारा मौके पर जाकर 9 ट्रॉलियों का चालान काटा गया,लेकिन उन 9 ट्रैक्टरों की जानकारी नही ली गई।

अब गंगधार थाने में एक ट्रेक्टर पर अवैध खनन मामले की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया व एक और ट्रेक्टर सोनालिका ट्रॉली पर 5 दिन गुजर जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नही की गई,जो कार्यवाही करने वाले अधिकारी के ऊपर सवालिया निशान खड़े करती है। आखिर ऐसा क्यों! क्या ऐसे भी नियम अलग अलग है! या फिर कानून के अलावा खुद की पदवी के नियम अलग है! जो एक और बार अधिकारी की कार्यवाही व कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे है। अब इस मामले में उच्चाधिकारी ही संज्ञान ले तो ज्यादा बेहतर होगा और उनसे उनकी मंशा जानेंगे। क्यों कि कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम कहना लेकिन आप जिमेदार अधिकारी का फर्ज बनता है सही कार्यवाही कर अंजाम देना। अब देखते है कार्यवाही के बादशाह की नई कार्यवाही क्या होती है।

इनका कहना है- मौके पर गए गंगधार पुलिस अधिकारी हेड रामचन्द्र नागर का कहना है कि एसडीएम साब द्वारा हमे सूचना की गई कि उक्त जगह पर जाप्ते को लेकर आओ यंहा अवैध बजरी खनन की जा रही है हम जाप्ते के साथ वंहा पंहुचे और मौके पर ट्रेक्टर ट्रॉली खड़ी थी,जिसके खिलाफ हमे अधिकारी द्वारा निर्देशित थाने में मामला दर्ज करने के लिए आदेशित किया गया। और दूसरे ट्रेक्टर ट्रॉली वाले मामले में हमे उनके बताएं अनुसार कार्यवाही करने के लिए कहा गया तो हमने उस ट्रेक्टर ट्रॉली की रोजनामचे में रपट डाल रखी है लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्यवाही नही की गई है।

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