बिलकिस बानो के बलात्कारियों व उसके परिवार के सदस्यों के हत्यारों को वपास जैल भेजो

फिरोज़ खान

जयपुर (मातृभूमि न्यूज़)। पुलिस महिलाओं की FIR बंद करती है और शिकायतकर्ता महिलाएं पर मुख्यमंत्री सख्त कार्यवाही करेंगे और पुलिस की कोई जवावबदेही नही। यह महिलाओं का अपमान है, हम चाहेंगे की मुख्यमंत्री यह बयान वापस लें,” यह बात आज वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व NFIW की राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुणा रॉय ने रखी जयपुर में महिला आंदोलन की सभा में रखी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की वरिष्ठ नेता ने अपने सम्बोधन में कहा की मुख्यमंत्री अगर यह कहते हैं की औरतें झूठी एफआईआर दर्ज करवाती हैं, तो उनमें और आरएसएस जो यही मान्यता औरतों के बारे में रखती हैं, में की अंतर हुआ उन्हे यह कथंन वापस लेना चाहिए और माफी भी माँगनी चाहिए।

राजस्थान में महिलाओं और बालिकाओं पर बढ़ते बलात्कार, यौन हिंसा व अत्याचार के खिलाफ मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन पढ़ा गया और उनसे प्रदेश को महिला हिंसा मुक्त बनाने के लिए योजना रखी। यह सभा चेतावनी सभा के रूप में रखी गई थी।

दोनों मुख्य वक्ताओं ने बिलकिस बानो के अपराधियों को सजा से क्षमा कर रिहा कर देने की कड़े शब्दों में नींद की और कहा की अपराधियों की रिहाई दिसम्बर में हो रहे चुनावों के संधर्भ में हुई है जिससे की समाज में फिर ध्रुवीकरण हो, जिसका लाभ हिन्दू राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी को मिले I उनका मानना था की अगर इसको चुनौती नही दी गई तो जघन्य अपराध में सज़ा होने के बावजूद अपराधी को छोड़ दिया जायेगा I दोनों का मानना था की दौर इतना बुरा है की तीस्ता जैसे न्याय की लड़ने वाले को अपराधी घोषित कर जेल भेज दिया जायेगा, इसलिए औरतों के 50 सालों के कानून बनाने व उनका लागू करवाने के संघर्ष सब को मिटा दियाजायेगा अगर हम सरकारों के महिला विरोधी निर्णयों के विरुद्ध खड़े नाही होंगे, सरकार चाहे राजस्थान की हो या गुजरात या केन्द्रीय सरकार हो। बिलकिस बानो के बलात्कारियों व परिवार के हत्यारों को वापिस जेल भेजने का ज्ञापन राष्ट्रपति व गुजरात के राज्यपाल के नाम व मुख्य न्यायाधीश के नाम सभा मे आये सभी प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर से भेजा गया। सभा को खूब महिलाओं ने संबोधित किया, एनएफआई डब्ल्यू की निशा सिद्धू, जनवादी महिला समिति की सईदा बेगम, आज़ाद फॉउण्डेशन से अराधना, एआईआरएसओ के रितास आजाद, जमायते ए स्लामी हिन्द की महिला समिति की रुबीना व सबीहा, राजस्थान महिला कामगार यूनियन की बासना चक्रवर्ती, नेशनल मुस्लिम विमन्स वेलफ़ेअर सोसायटी की निशात हुसैन व कोहिनूर, रुवा की लाड़ कुमारी जैन, एपवा की भँवरी बाई व मंजु लता, पीयूसीएल राजस्थान से कविता श्रीवास्तव आदि ने अपनी बात रखी और मंच का संचालन सुमित्रा चोपड़ा, मंजुलता, मिहिका व निशा सिद्धू ने किया। सभा में सीपीआईएम सचिव अमरा राम, राजस्थान समग्र सेवा संघ के सवाई सिंह, जमायाते ए इस्लामी हिन्द के डॉ. इकबाल व नाजीमुद्दीन, पीयूसीएल के प्रेमकृष्ण शर्मा आदि ने एकजुटता जाहिर की। सभा के अंत मे रैली शहीद स्मारक से अल्बर्ट हाल जयपुर तक निकाली गई। बहुत जोर शोर से लड़ेंगे-जीतेंगे, अशोक गहलोत महिला विरोधी बयान वापस लो, राजस्थान पुलिस पर हल्ला बोल के नारे व नारी शक्ति के नारे लगाये गये।

हम हैं- पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीस, राजस्थान, नेशनल मुस्लिम वुमेन वैलफेयर एसोसिएशन, राजस्थान यूनिवर्सिटी विमन्स असोसियसन, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, विविधा महिला आलेखन एंव संदर्भ केंद्र, महिला पुनर्वास समूह, ऑल इंडिया रेवलूशनेरी स्टूडेंट ऑर्गनाईजेशन, आजाद फाउंडेशन, मजदूर किसान शक्ति संगठन, राजस्थान, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला समिति, राजस्थान महिला कामगार यूनियन, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, शिल्पायन, आगाज़ फॉउण्डेशन, दलित अधिकार केंद्र, कोरों, सी-फार, विशाखा महिला शिक्षण एंव संदर्भ समूह, जमात ए इस्लामी हिन्द, वेल्फेर पार्टी ऑफ इंडिया, राजस्थान समग्र सेवा संघ, स्टूडेंटस फेडरेशन ऑफ इंडिया, राजस्थान नागरिक मंच, सूचना एंव रोजगार अभियान, सेंटर फॉर एक्विटी स्टडीज आदि।

 अगर आप गंभीर हैं की महिलाओं और बालिकाओं पर हो रहे अत्याचार में रोक थाम हो, तो 2013 की निर्भया सामूहिक बलात्कार व हत्या कांड के संदर्भ में UPA सरकार द्वारा गठित जस्टिस जे एस वर्मा की रपट को पूर्ण रूप से लागू कीजिये। उसमे प्रस्तावित बिल ऑफ राइट्स को विधान सभा में पारित करें। उसकी सिफारिशों को गंभीरता से लागू करें। चरमराई और भ्रष्ट पुलिस व्यवस्था को ठीक करने के लिए प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार व अन्य के फैसले को सख्ती से लागू कीजिये, केवल एक आधा अधूरा पुलिस कानून  ले आने से क्या बात बन जाएगी ? पुलिस कानून 2007 में बनाई जिला व राज्य स्तरीय मोनिट्रिंग और जवाबदेही को लेकर बनाई शिकायत समितियाँ आज दिन तक लागू नही हैं, उन्हे कब लागू किया जाएगा। इस वक्त अधिकांश आयोग, बाल, मानव अधिकार आदि में पद खाली हैं। इनको कौन भरेगा। आप तत्काल इन्हे भरे। एससी & एसटी कानून को गंभीरता से लागू करें। हिंसा पीड़ित बालिकाएं और महिलाओं के लिए पुनर्वास नीति तुरंत बनाई जाए और  पीड़ित महिलाओं के entitlements तुरंत दिए जाएँ।

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